आखिर भारतीयों ने पैसे बचाने क्यों बंद कर दिए? वित्त मंत्रालय को क्यों देनी पड़ी सफाई; जानें पूरा मामला
मंत्रालय ने सोशल मीडिया मंच ‘X’ पर जारी बयान में घरेलू बचत में पिछले कई दशकों में आई सबसे बड़ी गिरावट और इसका अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर की जा रही आलोचनाओं को सिरे से खारिज कर दिया.
वित्त मंत्रालय ने घरेलू बचत में गिरावट को लेकर हो रही आलोचनाओं को गुरुवार को नकारते हुए कहा कि लोग अब दूसरे वित्तीय उत्पादों में निवेश कर रहे हैं और ‘संकट जैसी कोई बात नहीं है.’ मंत्रालय ने सोशल मीडिया मंच ‘X’ पर जारी बयान में घरेलू बचत में पिछले कई दशकों में आई सबसे बड़ी गिरावट और इसका अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर की जा रही आलोचनाओं को सिरे से खारिज कर दिया. बयान के मुताबिक, ‘‘घरेलू बचत में गिरावट और अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव को लेकर हाल में आलोचना की गयी है. हालांकि आंकड़ों से पता चलता है कि उपभोक्ताओं का रुझान अब विभिन्न वित्तीय उत्पादों की ओर है. और यही कारण है कि घरेलू बचत कम हुई है. कुछ तबकों में जताई जा रही चिंता जैसी कोई बात नहीं है.’’
Lately, critical voices have been raised w.r.t. to household savings and its overall effect on economy. However, data indicates that changing consumer preference for different financial products is the real reason for the household savings and there is no distress as is being… pic.twitter.com/hORMTJDgbu
— Ministry of Finance (@FinMinIndia) September 21, 2023
RBI Bulletin के आंकड़े
भारतीय रिजर्व बैंक के ताजा मासिक बुलेटिन में प्रकाशित एक लेख में कहा गया है कि शुद्ध घरेलू बचत वित्त वर्ष 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद का 5.1 प्रतिशत रही जो पिछले 47 वर्षों का निचला स्तर है. इससे एक साल पहले यह 7.2 प्रतिशत थी. दूसरी तरफ घरेलू क्षेत्र की सालाना वित्तीय देनदारी बढ़कर 5.8 प्रतिशत हो गयी जो 2021-22 में 3.8 प्रतिशत थी. वित्त मंत्रालय ने कहा कि जून 2020 और मार्च 2023 के बीच घरेलू सकल वित्तीय परिसंपत्तियां 37.6 प्रतिशत बढ़ी. वहीं घरेलू सकल वित्तीय देनदारी 42.6 प्रतिशत बढ़ी. इन दोनों के बीच कोई बड़ा अंतर नहीं है.
मंत्रालय ने कहा, ‘‘परिवारों के स्तर पर वित्त वर्ष 2020-21 में 22.8 लाख करोड़ की शुद्ध वित्तीय परिसंपत्ति जोड़ी गयी. वित्त वर्ष 2021-22 में लगभग 17 लाख करोड़ और वित्त वर्ष 2022-23 में 13.8 लाख करोड़ रुपये की वित्तीय संपत्ति बढ़ी. इसका मतलब है कि उन्होंने एक साल पहले और उससे पहले के साल की तुलना में इस साल कम वित्तीय संपत्तियां जोड़ीं. लेकिन यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि शुद्ध रूप से उनकी कुल वित्तीय परिसंपत्ति अभी भी बढ़ रही है.’’
कहां निवेश कर रहे हैं परिवार?
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इसमें कहा गया है कि परिवारों ने पिछले वर्षों की तुलना में कम मात्रा में वित्तीय परिसंपत्तियां जोड़ीं क्योंकि वे अब कर्ज लेकर घर एवं अन्य रियल एस्टेट संपत्तियां खरीद रहे हैं. बयान के अनुसार, ‘‘व्यक्तिगत कर्ज के बारे में आरबीआई का आंकड़ा हमें सबूत देता है. बैंकों जो व्यक्तिगत कर्ज देते हैं, उसमें कई तत्व हैं. उसमें प्रमुख हैं रियल एस्टेट कर्ज और वाहन कर्ज...बैंकों की तरफ से दिये गये कुल व्यक्तिगत कर्ज में इनकी हिस्सेदारी 62 प्रतिशत है. अन्य प्रमुख श्रेणियां व्यक्तिगत कर्ज और क्रेडिट कार्ड कर्ज हैं.’’
होम लोन में आई बढ़ोतरी
वित्त मंत्रालय के मुताबिक, आवास ऋण में मई 2021 के बाद से लगातार दहाई अंक में वृद्धि हुई है. इससे वास्तविक संपत्ति खरीदने के लिये वित्तीय देनदारियां बढ़ी हैं. वाहन ऋण अप्रैल 2022 से सालाना आधार पर दहाई अंक में बढ़ा है. वहीं सितंबर 2022 से सालाना आधार पर 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. मंत्रालय के मुताबिक, यह दर्शाता है कि घरेलू क्षेत्र में संकट जैसी कोई बात नहीं है. लोग बैंकों से कर्ज लेकर वाहन और मकान खरीद रहे हैं. कुल मिलाकर घरेलू बचत (मौजूदा कीमतों पर) 2013-14 और 2021-22 (8 वर्ष) के बीच 9.2 प्रतिशत की संचयी सालाना वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ी है.
वहीं मौजूदा मूल्य पर जीडीपी में इस दौरान संचयी आधार पर 9.65 प्रतिशत की वृद्धि हुई. इसमें कहा गया है कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) से घरेलू क्षेत्र में कर्ज का शुद्ध प्रवाह सबसे अहम है. इसमें कई छोटे घरेलू व्यवासाय शामिल हैं. एनबीएफसी ने वित्त वर्ष 2022-23 में घरेलू क्षेत्र को पिछले वर्ष के 21,400 करोड़ रुपये की तुलना में लगभग 2,40,000 करोड़ रुपये का कर्ज दिया था. यह 11.2 गुना है. आलोचक इस पर गौर करना भूल गये. मंत्रालय के अनुसार एनबीएफसी का कुल बकाया खुदरा कर्ज 2021-22 में 8.12 लाख करोड़ रुपये था जो 2022-23 में बढ़कर 10.5 लाख करोड़ रुपये हो गया. यह 29.6 प्रतिशत अधिक है.
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05:28 PM IST